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ओं तंते मंते जोत जगाई

on tante mante jot jagai

जसनाथ

जसनाथ

ओं तंते मंते जोत जगाई

जसनाथ

और अधिकजसनाथ

    ओं तंते मंते जोत जगाई, वाके वचने काया उपाई।

    मीठो थां सागर सोस्यो, खारो कियो थांही (छाई)।

    ईसरदेव हुआ निरकारा, इसी परापती पाई।

    [ईसरदेव हुयो निरवाळो, इसी फलापती पाई]।

    पैलै दीपक चंदो सिरज्यो, सिरजी सिस्ट सुवाई।

    [सरजी जोत सुवाई]।

    दूजै दीपक सूरज सिरज्यो, सूरज जोत सवाई।

    [गोरख जाग जगाई]।

    अंगां हूंतां ईसर गौरां सिरज्या, गोरख कळा जगाई

    [उमत देव (जेह) उपाई]।

    एकै हाथ ताळी बाजै, रळ दोय काया उपाई [पकाई]।

    धिन है ज्ञानी ज्ञान बे साझा, काची काया उपाई [पकाई]।

    ईसर दैत’र देवता सिरज्या, तां कीवि उपवाई।

    दैतां टोटो देवां लाहो, कहि मानी काई।

    मछ कै रूप संखासर छेद्यो, सागर कियो छाई।

    मदरूपी मध कीचक छेद्यो, कंटक खाधो काई।

    कछ कै रूप हुय झबरख मार्यो, वो गयो बिण आई।

    वारा रूप कळंदर गा’यो, सतजुग वार कुहाई।

    कोड़े पन्द्रा टोटै दीनी, पांचां धर पौंचाई।

    पांचां (रो) मांझी है पहळादो, पहळादैनै मान बडाई।

    थे उण राजा री करणी हालो, जो मत पार लंघो मोरा भाई।

    सो गुरु सदा सिंवर प्राणी, (जिण) थांरी उमत आव उपाई।

    उमत घटती वाचा बधती, जै गुरु गोरख जाग जगाई।

    गुरु प्रसादे गोरख वचने, (श्रीदेव) जसनाथ(जी) बांच सुणाई।

    स्रोत :
    • पुस्तक : सबद ग्रंथ (पृष्ठ 166)
    • संपादक : सूर्य शंकर पारेक
    • रचनाकार : जसनाथ
    • प्रकाशन : श्री देव जसनाथ सिद्धाश्रम (बाड़ी) धर्मनाथ ट्रस्ट बीकानेर (राज.)
    • संस्करण : 1996
    हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

    हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

    ‘हिन्दवी डिक्शनरी’ हिंदी और हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों के शब्दों का व्यापक संग्रह है। इसमें अंगिका, अवधी, कन्नौजी, कुमाउँनी, गढ़वाली, बघेली, बज्जिका, बुंदेली, ब्रज, भोजपुरी, मगही, मैथिली और मालवी शामिल हैं। इस शब्दकोश में शब्दों के विस्तृत अर्थ, पर्यायवाची, विलोम, कहावतें और मुहावरे उपलब्ध हैं।

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