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गोबिंद गोबिंद गोबिंद संगि

gobind gobind gobind sangi

धन्ना भगत

धन्ना भगत

गोबिंद गोबिंद गोबिंद संगि

धन्ना भगत

और अधिकधन्ना भगत

    गोबिंद गोबिंद गोबिंद संगि नामदँउ मनु लीणा।

    आढ दाम को छीपरो होइउ लाषीणा॥रहाउ॥

    बुनना तनना तिआगिकैं, प्रीति चरन कबीरा।

    नीचा कुला जोलाहरा भइंउ गुनीय गहीरा॥

    रबिदासु ढुवंता ढोरनी, तिन्हि तिआगी माइआ।

    परगटु होआ साथसंगि, हरि दरसनु पाइआ॥

    सैंनु नाई बुतकारीआ, उहु धरिघरि सुनिआ।

    हिरदे बसिआ पारब्रह्म भगता महि गनिआ॥

    इह बिधि सुनिकै जाटरो, उठि भगती लागा।

    मिले प्रतषि गुसाईआं, धंना बड़भागा॥

    स्रोत :
    • पुस्तक : संत काव्य-धारा (पृष्ठ 138)
    • संपादक : परशुराम चतुर्वेदी
    • रचनाकार : धन्ना भगत
    • प्रकाशन : किताब महल, इलाहाबाद
    • संस्करण : 1981

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