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छबि आवन मोहनलाल की

chhabi aawan mohanlal ki

रहीम

रहीम

छबि आवन मोहनलाल की

रहीम

और अधिकरहीम

    छबि आवन मोहनलाल की।

    काछे काछनि कलित मुरलि कर पीत पिछौरी साल की॥

    बंक तिलक केसर को कीन्हो द्युति मानौं बिधु बाल की।

    बिसरत नाहिं सखी मो मन सों चितवनि नैन बिसाल की॥

    नीकी हँसनि अधर सधरनि छबि छीनी सुमन गुलाब की।

    जल सों डारि दियो पुरइनि पै डोलनि मुकतामाल की॥

    आप मोल बिन मोलनि डोलनि बोलनि मदन गोपाल की।

    यह सरूप निरखै सोइ जानै यहि रहीम के हाल की॥

    स्रोत :
    • पुस्तक : रहीम-कवितावली (पृष्ठ 64)
    • संपादक : सुरेंद्र तिवारी
    • रचनाकार : रहीम
    • प्रकाशन : नवलकिशोर प्रेस, लखनऊ
    • संस्करण : 1926

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