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चरण शरण लियां कष्ट नसावै

charn sharan liyan kasht nasawai

रानाबाई

रानाबाई

चरण शरण लियां कष्ट नसावै

रानाबाई

और अधिकरानाबाई

    चरण शरण लियां कष्ट नसावै।

    हरि अंतरयामी भाईड़ा, ओजू क्यूं घबरावै॥

    ध्रु परलाद साख जुग-जुग सूं, ज्याने क्यूं बिसरावै।

    चरण थामीया भक्त विभीषण, प्रभुजी तिलक सरावै॥

    असुर मेट थापी मरजादा, नुगरा जन थररावै।

    उदय अस्त रा भवै बायरा, भरमा भूत बतावै॥

    नर पिशाच डाकी डाकण सब, काया करम कमावै।

    लाज सरम रो कर उजरणो, कर किरयाणां भावै॥

    खपग्या रावण कंस गरब कर, गयना में कोई आवै।

    'राना' सतगुरु खोजी सरणे, गिरधर लाज बचावै॥

    स्रोत :
    • पुस्तक : जाटों की गौरव गाथा (पृष्ठ 47)
    • रचनाकार : रानाबाई
    • प्रकाशन : राजस्थानी ग्रंथागार
    • संस्करण : 2016

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