आज दिवस लेऊं बलिहारा
aaj diwas leun balihara
आज दिवस लेऊं बलिहारा।
मेरे ग्रिह आया राजा राम जी का प्यारा॥टेक॥
आँगन पगड़ भुवन भयौ पावन, हरिजन बैठे हरि जस गावन।
करी डंडौत अरु चरन पषारौं, तन मन धन संतन पर वारौं॥
क्या करै अरु अरथ विचारै, आप तरैं औरनि कौ तारैं।
कहै रैदास मिलैं निज दास, जनम जनम कै काटैं पास॥
आज के दिन मैं बलिहारी जाऊँ, मेरे घर राजा राम का प्यारा आया है। संत के आगमन से मेरा घर, आँगन, मैदान सभी पवित्र हो गए हैं। संत के आते ही हरि-भक्त हरि का यश गाने लगे। मैंने दंडवत् प्रणाम करके उनके चरणों को धो दिया। तन, मन, धन से मैं संत पर न्यौछावार हूँ। संतों की सेवा करने में कुछ भी सोच−विचार नहीं करना चाहिए क्योंकि वे स्वयं तो संसार−सागर से पार होते ही हैं, दूसरों को भी पार कराते हैं। रैदास कहते हैं−जो भक्त संतों के दर्शन करता है उसके जन्म−जन्म के बंधन कट जाते हैं।
- पुस्तक : रैदास ग्रंथावली (पृष्ठ 253)
- रचनाकार : डॉ. जगदीश शरण
- प्रकाशन : साहित्य संस्थान
- संस्करण : 2011
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