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संत की चाकरी करले बाबा

sant ki chakari karle baba

केशवस्वामी

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संत की चाकरी करले बाबा

केशवस्वामी

और अधिककेशवस्वामी

    संत की चाकरी करले बाबा॥

    इस तन का क्या भरोसा, कब ज्यावेगा मर॥

    निरंजन का रूप समज, छोड़ दे कर कर॥

    कहत केशव राम कु पाया, वो नर अमर॥

    स्रोत :
    • पुस्तक : हिंदी के जनपद संत (पृष्ठ 376)
    • संपादक : काका साहेब कालेलकर
    • रचनाकार : केशवस्वामी
    • प्रकाशन : मोतीलाल बनारसीदास
    • संस्करण : 1963

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