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कुंभन बन पाना और बात है

kumbhan ban pana aur baat hai

जगदीश व्योम

जगदीश व्योम

कुंभन बन पाना और बात है

जगदीश व्योम

और अधिकजगदीश व्योम

    गीत बाँच कर

    मंचों पर

    ताली बजवाना

    और बात है

    पर, गीतों में

    पानी को

    पानी कह पाना और बात है

    सुविधाएँ

    अच्छी लगती हैं

    सभी चाहते हैं सुविधाएँ

    सुविधा लेकर

    सुविधाओं का

    मोल चुकाना और बात है

    गीत बाँच कर...

    यूँ तो

    सबकी देखा-देखी

    उसने भी ऐलान कर दिया

    पर

    अपने ही निर्णय पर

    टिक कर रह पाना और बात है

    गीत बाँच कर...

    पदक और पैसों की

    ढेरी पर चढ़कर

    ऊँचे लगते हैं

    लेकिन

    युग-कवियों का फिर

    कुंभन बन पाना और बात है

    गीत बाँच कर...

    स्रोत :
    • पुस्तक : इतना भी आसान कहाँ है : गीत-नवगीत (पृष्ठ 91)
    • रचनाकार : जगदीश व्योम
    • प्रकाशन : वाणी प्रकाशन
    • संस्करण : 2023

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