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मुकरियाँ

मुकरनिया, मुकरियाँ या कह-मुकरियाँ का शाब्दिक अर्थ है 'कहकर मुकर जाना'। यह अमीर ख़ुसरो द्वारा निर्मित छंद की एक विधा है। यह चार पंक्तियों का छंद है जिसमें पहली तीन पंक्तियाँ संदर्भ प्रस्तुत करती हैं और अंतिम पंक्ति में प्रस्तुत सन्दर्भ के दो अर्थ निहित रहते हैं। इनमें पहला अर्थ अनुमान-आधारित होता है और दूसरा वास्तविक। वस्तुतः इसे अन्योक्ति या कला कौतुक भी कह सकते हैं।

1253 -1325

सूफ़ी संत, संगीतकार, इतिहासकार और भाषाविद। हज़रत निज़ामुद्दीन के शिष्य और खड़ी बोली हिंदी के पहले कवि। ‘हिंदवी’ शब्द के पुरस्कर्ता।

1850 -1885

भारतीय नवजागरण के अग्रदूत। समादृत कवि, निबंधकार, अनुवादक और नाटककार।

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