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रचनाकार

कुल: 1694

सुपरिचित कवयित्री। ‘धूप के नन्हे पाँव’ चर्चित पुस्तक।

सुपरिचित तेलुगु कवि-गीतकार। वाम आंदोलनों से संबद्धता।

नाइजीरिया के सुप्रसिद्ध कवि, उपन्यासकार और आलोचक। आधुनिक अफ़्रीकी इतिहास में योगदान के लिए उल्लेखनीय।

सुपरिचित गुजराती कवि-लेखक-समालोचक। साहित्य अकादेमी पुरस्कार से सम्मानित।

‘कविशेखर’ के रूप में सुप्रसिद्ध ओड़िया कवि-उपन्यासकार-संपादक। प्रकृति और पौराणिक विषयों पर काव्य-रचना के लिए उल्लेखनीय।

आधुनिक ओड़िया कवि और समालोचक।

रीतिकाव्य की अखंड परंपरा के आरंभिक कवि। ललित-सानुप्रास भाषा और मनोहर वर्णन प्रणाली का निर्वहन करने वाले कवि के रूप में ख्यात।

सुप्रतिष्ठित कन्नड़ कवि-लेखक। साहित्य अकादेमी पुरस्कार से सम्मानित।

भाव कविता के लिए चिह्नित विदुषी तेलुगु कवयित्री।

समादृत उपन्यासकार और कथाकार। ऐतिहासिक प्रसंगों के प्रयोग के लिए उल्लेखनीय।

कृष्णभक्त कवि। पुष्टिमार्गीय वल्लभ संप्रदाय के अष्टछाप कवियों में से एक। कुंभनदास के पुत्र और गोस्वामी विट्ठलनाथ के शिष्य।

पुरातत्वविद और कला-इतिहासकार। भारतीय कला-समीक्षा में उल्लेखनीय योगदान।

'चरणदासी संप्रदाय' के प्रवर्तक। योगसाधक संत। जीवन-लक्ष्य साधने हेतु कृष्ण-भक्ति के साथ अष्टांग योग पर बल देने के लिए स्मरणीय।

सुपरिचित डोगरी कवि। 'जोत' काव्य-संग्रह के लिए उल्लेखनीय।

माधुर्य गुणयुक्त कविता में सलज्ज शृंगार की विवेचना करने वाली भारतेंदु युगीन अल्पज्ञात कवयित्री।

सुपरिचित कवि-लेखक।

रीतिकालीन कवि। शृंगार और वीर रस की कविताओं में निष्णात। 'हम्मीर हठ' कीर्ति का आधार ग्रंथ।

अत्यंत सक्रिय छात्र नेता और अध्येता। जेएनयू से पढ़ाई। 1997 को बिहार बंद के समर्थन में सिवान शहर के जे.पी. चौराहे पर सभा करते हुए अपराधियों की गोली से शहीद हुए। चंदू के नाम से लोकप्रिय।

सुपरिचित कवि। 'स्मृतियों में बसा समय' शीर्षक से एक कविता-संग्रह प्रकाशित।

आधुनिक काल की आरंभिक गद्यकार।

सातवें दशक के समादृत कवि। साहित्य अकादेमी पुरस्कार से सम्मानित।

प्रौढ़ शिल्प में लिखित यथार्थपरक रचनाओं के लिए प्रसिद्ध। निबंध, कहानी और नाटकों के रचयिता। मासिक पत्र 'आजकल' के संपादक भी रहे।

सशक्त गद्यकार और चिंतक। 'उसने कहा था' जैसी कालजयी कहानी के रचनाकार। 'समालोचक' पत्रिका के संपादक और नागरी प्रचारिणी सभा के संपादकों में से एक। पांडित्यपूर्ण हास और अर्थ वक्र शैली के लिए विख्यात।

संस्कृत-हिंदी-अँग्रेज़ी के रचनाकार। बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के दर्शन विभाग से संबद्ध रहे।

सुपरिचित कवि-लेखक। 'फल्गु किनारे' शीर्षक से एक कविता-संग्रह प्रकाशित।

सुप्रसिद्ध राजस्थानी कवि-संपादक-अनुवादक। साहित्य अकादेमी पुरस्कार से सम्मानित।

सुपरिचित कवि-लेखक और पत्रकार।

हिंदी के प्रथम महाकवि। वीरगाथा काल से संबद्ध। ‘पृथ्वीराज रासो’ कीर्ति का आधार-ग्रंथ।

नई पीढ़ी के कवि-लेखक।

सुपरिचित कवि।

नई पीढ़ी के सुपरिचित कहानीकार-उपन्यासकार। भारतीय ज्ञानपीठ के नवलेखन पुरस्कार से सम्मानित।

रीतिग्रंथकार। अलक्षित कवि। फ़ारसी के ज्ञाता।

सुपरिचित कवयित्री।

सुप्रसिद्ध डोगरी कवयित्री-लेखिका-समालोचक और अनुवादक। साहित्य अकादेमी पुरस्कार से सम्मानित।

कश्मीरी कवि और पत्रकार। 'शबनम्य' काव्य-संग्रह' और 'शीराज़ा' पत्रिका के संपादन के लिए उल्लेखनीय।

मंजुल शैली के सुपरिचित ओड़िया कवि।

'राधावल्लभ संप्रदाय' से संबंधित। भाव-वैचित्र्य और काव्य-प्रौढ़ता के लिए विख्यात।

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