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पिता के पत्र पुत्री के नाम (रामायण और महाभारत)

pita ke patr putri ke naam (ramayan aur mahabharat)

जवाहरलाल नेहरू

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पिता के पत्र पुत्री के नाम (रामायण और महाभारत)

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    वेदों के ज़माने के बाद काव्यों का ज़माना आया। इसका यह नाम इसलिए पड़ा कि इसी ज़माने में दो महाकाव्य, रामायण और महाभारत, लिखे गए, जिनका हाल तुमने पढ़ा है। महाकाव्य उस पद्य की बड़ी पुस्तक को कहते हैं, जिसमें वीरों की कथा बयान की गई हो।

    काव्यों के ज़माने में आर्य लोग उत्तरी हिंदुस्तान से विंध्य पहाड़ तक फैल गए थे। जैसा मैं तुमसे पहले कह चुका हूँ इस मुल्क को आर्यावर्त कहते थे। जिस सूबे को आज हम संयुक्त प्रदेश कहते हैं वह उस ज़माने में मध्य देश कहलाता था, जिसका मतलब है बीच का मुल्क। बंगाल को बंग कहते थे।

    यहाँ एक बड़े मज़े की बात लिखता हूँ जिसे जान कर तुम ख़ुश होगी। अगर तुम हिंदुस्तान के नक़्शे पर निगाह डालो और हिमालय और विंध्य पर्वत के बीच के हिस्से को देखो, जहाँ आर्यावर्त रहा होगा तो तुम्हें वह दूज के चाँद के आकार का मालूम होगा। इसीलिए आर्यावर्त को इंदु देश कहते थे। इंदु चाँद को कहते हैं।

    आर्यों को दूज के चाँद से बहुत प्रेम था। वे इस शक्ल की सभी चीज़ों को पवित्र समझते थे। उनके कई शहर इसी शक्ल के थे जैसे बनारस। मालूम नहीं तुमने ख़याल किया है या नहीं, कि इलाहाबाद में भी गंगा भी दूज के चाँद की सी हो गई है।

    यह तो तुम जानती ही हो कि रामायण में राम और सीता की कथा, और लंका के राजा रावण के साथ उनकी लड़ाई का हाल बयान किया गया है। पहले इस कथा को वाल्मीकि ने संस्कृत में लिखा था। बाद को वही कथा बहुत सी दूसरी भाषाओं में लिखी गई। इनमें तुलसीदास का हिंदी में लिखा हुआ रामचरितमानस सबसे मशहूर है।

    रामायण पढ़ने से मालूम होता है कि दक्खिनी हिंदुस्तान में बंदरों ने रामचंद्र की मदद की थी और हनुमान उनका बहादुर सरदार था। मुमकिन है रामायण की कथा आर्यों और दक्खिन के आदमियों की लड़ाई की कथा हो, जिनके राजा का नाम रावण रहा हो। रामायण में बहुत सी सुंदर कथाएँ हैं; लेकिन यहाँ मैं उनका ज़िक्र करूँगा, तुमको ख़ुद उन कथाओं को पढ़ना चाहिए।

    महाभारत इसके बहुत दिनों बाद लिखा गया। यह रामायण से बहुत बड़ा ग्रंथ है। यह आर्यों और दक्खिन के द्रविड़ों की लड़ाई की कथा नहीं; बल्कि आर्यों के आपस की लड़ाई की कथा है। लेकिन इस लड़ाई को छोड़ दो, तो भी यह बड़े ऊँचे दर्जे की किताब है जिसके गहरे विचारों और सुंदर कथाओं को पढ़कर आदमी दंग रह जाता है। सबसे बढ़कर हम सब को इसलिए इससे प्रेम है कि इसमें वह अमूल्य ग्रंथ रत्न है जिसे भगवद्गीता कहते हैं।

    ये किताबें कई हज़ार बरस पहले लिखी गई थीं। जिन लोगों ने ऐसी-ऐसी किताबें लिखीं वे ज़रूर बहुत बड़े आदमी थे। इतने दिन गुज़र जाने पर भी ये पुस्तकें अब तक ज़िंदा हैं, लड़के उन्हें पढ़ते हैं और सयाने उनसे उपदेश लेते हैं।

    हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

    हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

    ‘हिन्दवी डिक्शनरी’ हिंदी और हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों के शब्दों का व्यापक संग्रह है। इसमें अंगिका, अवधी, कन्नौजी, कुमाउँनी, गढ़वाली, बघेली, बज्जिका, बुंदेली, ब्रज, भोजपुरी, मगही, मैथिली और मालवी शामिल हैं। इस शब्दकोश में शब्दों के विस्तृत अर्थ, पर्यायवाची, विलोम, कहावतें और मुहावरे उपलब्ध हैं।

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