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पिता के पत्र पुत्री के नाम (हिंदुस्तान के आर्य कैसे थे)

pita ke patr putri ke naam (hindustan ke aarya kaise the)

जवाहरलाल नेहरू

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पिता के पत्र पुत्री के नाम (हिंदुस्तान के आर्य कैसे थे)

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    आर्यों को हिंदुस्तान आए बहुत ज़माना हो गया। सब के सब तो एक साथ आए नहीं होंगे, उनके फ़ौजों पर फ़ौजें, जाति पर जाति और कुटुंब पर कुटुंब सैकड़ों बरस तक आते रहे होंगे। सोचो कि वे किस तरह लंबे क़ाफिलों में सफ़र करते हुए, गृहस्थी की सब चीज़ें गाड़ियों और जानवरों पर लादे हुए आए होंगे। वह आजकल के यात्रियों की तरह नहीं आए। वे फ़िर लौट कर जाने के लिए नहीं आए थे। वे यहाँ रहने के लिए या लड़ने और मर जाने के लिए आए थे। उनमें से ज़्यादातर तो उत्तर-पश्चिम की पहाड़ियों को पार करके आए, लेकिन शायद कुछ लोग समुद्र से ईरान की खाड़ी होते हुए आए और अपने छोटे-छोटे जहाज़ों में सिंध नदी तक चले गए।

    ये आर्य कैसे थे? हमें उनके बारे में उनकी लिखी हुई किताबों से बहुत सी बातें मालूम होती हैं। उनमें से कुछ किताबें, जैसे वेद, शायद दुनिया की सबसे पुरानी किताबों में हैं। ऐसा मालूम होता है कि शुरू में वे लिखी नहीं गई थीं। उन्हें लोग ज़बानी याद करके दूसरों को सुनाते थे। वे ऐसी सुंदर संस्कृत में लिखी हुई हैं कि उनको गाने में मज़ा आता है। जिस आदमी का गला अच्छा हो और वह संस्कृत भी जानता हो उसके मुँह से वेदों का पाठ सुनने में अब भी आनंद आता है। हिंदू वेदों को बहुत पवित्र समझते हैं। लेकिन वेद शब्द का मतलब क्या? इसका मतलब है ज्ञान। और वेदों में वह सब ज्ञान जमा कर दिया गया है जो उस ज़माने के ऋषियों और मुनियों ने हासिल किया था। उस ज़माने में रेल गाड़ियों और तार और सिनेमा थे। लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि उस ज़माने के आदमी मूर्ख थे। कुछ लोगों का तो यह ख़याल है कि पुराने ज़माने में लोग जितने अक़्लमंद होते थे, उतने अब नहीं होते। लेकिन चाहे वे ज़्यादा अक़्लमंद रहे हों या रहे हों उन्होंने बड़े मार्के की किताबें लिखीं जो आज भी बड़े आदर से देखी जाती हैं। इसी से मालूम होता है पुराने ज़माने के लोग कितने बड़े थे।

    मैं पहले ही कह चुका हूँ कि वेद पहले लिखे गए थे। लोग उन्हें याद कर लिया करते थे और इस तरह वे एक पुश्त से दूसरी पुश्त तक पहुँचते गए। उस ज़माने में लोगों की याद रखने की ताक़त भी बहुत अच्छी रही होगी। हममें से अब कितने आदमी ऐसे हैं जो पूरी किताबें याद कर सकते है?

    जिस ज़माने में वेद लिखे गए उसे वेद का ज़माना कहते हैं। पहला वेद ऋग्वेद है। इसमें वे भजन और गीत हैं जो पुराने आर्य गाया करते थे। वे लोग बहुत ख़ुश मिजाज़ रहे होंगे, रूखे और उदास नहीं। बल्कि जोश और हौसले से भरे हुए। अपनी तरंग में वे अच्छे-अच्छे गीत बनाते थे और अपने देवताओं के सामने गाते थे।

    उन्हें अपनी जाति और अपने आप पर बड़ा ग़ुरूर था। आर्य शब्द के माने हैं शरीफ़ आदमी या ऊँचे दर्जे का आदमी। और उन्हें आज़ाद रहना बहुत पसंद था। वे आजकल की हिंदुस्तानी संतानों की तरह थे जिनमें हिम्मत का नाम नहीं और अपनी आज़ादी के खो जाने का रंज है। पुराने ज़माने के आर्य मौत को ग़ुलामी या बेइज़्ज़ती से अच्छा समझते थे।

    वे लड़ाई के फ़न में बहुत होशियार थे। और कुछ-कुछ विज्ञान भी जानते थे। मगर खेती-चारी का ज्ञान उन्हें बहुत अच्छा था। खेती की क़द्र करना उनके लिए स्वाभाविक बात थी। और इसलिए जिन चीज़ों से खेती को फ़ायदा होता था उनकी भी वे बहुत क़द्र करते थे। बड़ी-बड़ी नदियों से उन्हें पानी मिलता था इसलिए वे उन्हें प्यार करते थे और उन्हें अपना दोस्त और मुरब्बी समझते थे। गाय और बैल से भी उन्हें अपनी खेती में और रोज़मर्रा के कामों में बड़ी मदद मिलती थी; क्योंकि गाय दूध देती थी जिसे वे बड़े शौक़ से पीते थे।

    इसलिए वे इन जानवरों की बहुत हिफ़ाज़त करते थे और उनकी तारीफ़ के गीत गाते थे। उसके बहुत दिनों बाद लोग यह तो भूल गए कि गाय की इतनी हिफ़ाज़त क्यों की जाती थी और उसकी पूजा करने लगे। भला सोचो तो इस पूजा से किसका क्या फ़ायदा था। आर्यों को अपनी जाति का चड़ा घमंड था और इसलिए वे हिंदुस्तान की दूसरी जातियों में मिल-जुल जाने से डरते थे। इसलिए उन्होंने ऐसे कायदे और क़ानून बनाए कि मिलावट होने पाए। इसी वजह से आर्यों को दूसरी जातियों में विवाह करना मना था। बहुत दिनों के बाद इसी ने आजकल की जातियाँ पैदा कर दीं। अब तो यह रिवाज़ बिल्कुल ढोंग हो गया है। कुछ लोग दूसरों के साथ खाने या उन्हें छूने से भी डरते हैं। मगर यह बड़ी अच्छी बात है कि यह रिवाज़ अब कम होता जा रहा है।

    हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

    हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

    ‘हिन्दवी डिक्शनरी’ हिंदी और हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों के शब्दों का व्यापक संग्रह है। इसमें अंगिका, अवधी, कन्नौजी, कुमाउँनी, गढ़वाली, बघेली, बज्जिका, बुंदेली, ब्रज, भोजपुरी, मगही, मैथिली और मालवी शामिल हैं। इस शब्दकोश में शब्दों के विस्तृत अर्थ, पर्यायवाची, विलोम, कहावतें और मुहावरे उपलब्ध हैं।

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