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कहे दास सगराम मूढ़ मिनखा तन पायो

kahe das sagram mooDh minkha tan payo

सगरामदास

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कहे दास सगराम मूढ़ मिनखा तन पायो

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और अधिकसगरामदास

    कहे दास सगराम मूढ़ मिनखा तन पायो।

    भज्यो सिरजणहार कमायो सोयो खायो॥

    खायो ने सोयो पशु कियो विषय सूं प्यार।

    आयो चौरासी भुगतने फिर जावण ने त्यार।

    फिर जावण ने त्यार रांड गेली रो जायो।

    कहे दास सगराम मूढ़ मिनखा तन पायो॥

    स्रोत :
    • पुस्तक : सन्त-वाणी
    • रचनाकार : सगरामदास
    • प्रकाशन : कानसिंह पालावत, ए-4 'करणी-कृपा' शास्त्रीनगर, जयपुर
    • संस्करण : 2001

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