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घर-घर में गुरु बैद सब

ghar ghar mein guru baid sab

भगवत रसिक

भगवत रसिक

घर-घर में गुरु बैद सब

भगवत रसिक

और अधिकभगवत रसिक

    घर-घर में गुरु बैद सब, बिन गुरु बैद कोय।

    औषधि मंत्र बतावहीं, सीघ्र सिद्ध यह होय॥

    सीघ्र सिद्ध यह होय, बहुत भाँतिन अजमायौ।

    कह्यौ हमारो करौ, लेहु सुख मन को भायौ॥

    रोगी वर गुरु हीन करै, कह काकों परिहर।

    निहचै ‘भगवत' करै एक, नहिं डोलै घर-घर॥

    स्रोत :
    • पुस्तक : ब्रजमाधुरी सार (पृष्ठ 228)
    • रचनाकार : भगवतरसिक
    • प्रकाशन : हिंदी साहित्य सम्मेलन, प्रयाग
    • संस्करण : 2002

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    हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

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    ‘हिन्दवी डिक्शनरी’ हिंदी और हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों के शब्दों का व्यापक संग्रह है। इसमें अंगिका, अवधी, कन्नौजी, कुमाउँनी, गढ़वाली, बघेली, बज्जिका, बुंदेली, ब्रज, भोजपुरी, मगही, मैथिली और मालवी शामिल हैं। इस शब्दकोश में शब्दों के विस्तृत अर्थ, पर्यायवाची, विलोम, कहावतें और मुहावरे उपलब्ध हैं।

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