अब जूरा इंद्रावति छोरा। भयउ घटा मों चाँद अंजोरा॥
पैठिहु जब जल भीतर रानी। पानिय पायउ तारा पानी॥
झुलना झूलेहु करत नहानूँ। लहकि चहेउ चुंबे अधिरानी॥
लखि नथ मोती की अमलाई। सुक्र छपाना आप लजाई॥
मनु तारा भा गगन समानू। भयेउ मयंक समाँ वह प्रानू॥
सुरज उआ आकासही, चंद्र उआ जल माह।
कुमुद तामरस फूले, दोउ मित्र के पाह॥
कहा रतन सों एक सहेली। वरनि न पागें तोहि अलबेली॥
केस कस्तुरी हिर्दे फांदू। अहै लिलाट अजोरा चाँदू॥
अहै भिर्कुटी धनुक समानी। है बरनी जिसनू कै बानी॥
नैन सलोन जगत मन हरा। करन सीप मोती सों भरा॥
नासिक मनहुँ कीर बैठो है। बरुक अकार कला निधि को है॥
चिबुक कूप को पानी, चाहत कीर घरान।
फूल गुलाब कपोल है, तिल है भँवर समान॥
सीरन लाल अधर रतनारा। द्रसन पाँत मोती को हारा॥
मन भेरो लालहि चित धरा। जाइ चिबुक गाड़ा मों परा॥
रेखा एक ग्रींउ मों सोहै। का बरनों सोभा मन मोहै॥
निर्मल बदन आरसी छाजै। गल कंचन की डाड़ी राचै॥
अमल कनक सों भुजा बनावा। सुंदर हाथ कमल मन भावा।
यह सामै हो रानी, जल औ सुख रबि तोर॥
पाइ होऊ कर वारिज, बिकस चलें मुख वोर॥
उरज बीर दुह मनमथ कोहैं। छबि उपवन दुह श्रीफल मोहैं॥
नाहीं-नाहीं चुप यह जानहु। बंटा जमल जोत के मानहु॥
का बरनो रोमावलि हेरी। सेल्है मदन बाहनी केरी॥
पातर लंक केस की नाई। नाहीं सों सिरजा जग साई॥
जंघ चरन सो आचंभो है। रंभा खंभ कमल पर सोहै॥
मानहु खंभा रूप के, जुगल जंघ है तोर।
चरन बखान न कै सकों, नित परसै चित मोर॥
सुंदरता को लच्छन जेते। प्यारी चेरे तेरे तेते॥
लट कुंतल अति स्यामल आहै। भौंह स्याम जैहि इंद्र सराहै॥
स्याम अधिक लोचन संबराई। स्यामल बरुनी जिश्नु डेराई॥
ललिन अधर औ रसना तोरे। अँगुली सीस ललित रंग बोरे॥
ललित कपोल गुलाब लजाहीं। जग मत मधुकर समा लोभाहीं॥
तरवा और हथोरी, आनन रसना छोट।
गल कुंतल दिर्ग लाब है, बानन मिलै न वोट॥
दसन सेत औ नैन सेताई। अधिक सेत कछु बरनि न जाई॥
गोल सीम औ बदन तुम्हारा। गन एड़ी बिधि गोल सँवारा॥
ऊँच नासिका ऊँची भौंहैं। बरुनी ऊँच बात सम सोहैं॥
करन छिद्र पायउ सकराई। सांकर नासिक छिद्र सोहाई॥
आहै साकरि नाम तुम्हारी। तोहि बिधि सौंपैं सानि संवारी॥
एतो सुघराई पर, रंचिक गरब न तोहिं।
सुंदर सील तेहारो, लागत नीको मोहिं॥
- पुस्तक : हिंदी के कवि और काव्य (पृष्ठ 103)
- संपादक : गणेशप्रसाद द्विवेदी
- प्रकाशन : हिंदुस्तानी एकेडेमी, संयुक्त प्रांत, इलाहाबाद
Additional information available
Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.
About this sher
Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit. Morbi volutpat porttitor tortor, varius dignissim.
rare Unpublished content
This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.