कवित्त
वर्णिक छंद। चार चरण। प्रत्येक चरण में सोलह, पंद्रह के विराम से इकतीस वर्ण। चरणांत में गुरू (ऽ) अनिवार्य। वर्णों की क्रमशः आठ, आठ, आठ और सात की संख्या पर यति (ठहराव) अनिवार्य।
कृष्ण-भक्त कवि। सरस और हृदयग्राहिणी रचना ‘सुदामा चरित’ प्रसिद्धि का आधार-ग्रंथ।
भारतेंदु युगीन कवि। पुरानी परिपाटी के लेखन में सक्रिय होने के साथ-साथ भाषा की नवीन गति के प्रवर्तन में भी भागीदार।
आधुनिक खड़ी बोली के प्रारंभिक कवियों में से एक। बहुभाषी। 'गर्भरंडा रहस्य' नामक कृति से चर्चित।
नाथ परंपरा के कवि। चर्पटनाथ के शिष्य। असार संसार में लिप्त जीवों की त्रासदी के सजीव वर्णन के लिए स्मरणीय।