भेष भयंकर जंभ जिह्वा छुरीधार कढ्यो
bhesh bhayankar jambh jihwa chhuridhar kaDhyo
रसिक गोविंद
Rasik Govind
भेष भयंकर जंभ जिह्वा छुरीधार कढ्यो
bhesh bhayankar jambh jihwa chhuridhar kaDhyo
Rasik Govind
रसिक गोविंद
और अधिकरसिक गोविंद
भेष भयंकर जंभ जिह्वा छुरीधार कढ्यो,
खंभ तैं गुबिंद यौं नृसिंघ किलकारिकैं।
दंत कटकटत विकट्ट अट्ट हास दाढ,
दिठ्ठि विज्जु छटा देति दुष्ट गर्व गारिकैं।
हक्व पक्व इंद्र कै फनिंद्र जू कौसक्व पक्व,
धरा हू धसक्की धार धक्व पक्व धारिकै।
जुद्ध करि क्रुद्ध ह्वै बिरुद्धी दुरबुद्धी कौं,
प्रसिद्धि नख उद्धत सौ डार्यौ पेट फारिकै॥
- पुस्तक : गोविंददास कृत दूषणोल्लास (पृष्ठ 85)
- संपादक : बनीबहादुर सिंह
- रचनाकार : रसिक गोविंद
- प्रकाशन : हिंदी साहित्य सम्मेलन, प्रयाग
- संस्करण : 1965
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