तेरे भुज मूल जिन्हें उपमा न तूल देखें
tere bhuj mool jinhen upma na tool dekhen
सूरति मिश्र
Surati Mishra
तेरे भुज मूल जिन्हें उपमा न तूल देखें
tere bhuj mool jinhen upma na tool dekhen
Surati Mishra
सूरति मिश्र
और अधिकसूरति मिश्र
तेरे भुज मूल जिन्हें उपमा न तूल, देखें
होति, अति भूल, सधि जाति उठि गात ते।
बाँह से उतारि देखि रीझै हरि प्यारे सुर,
तरु मद डारे, डारे तेजु करि घात तै।
,सूरति, सुकवि किधौ फाँसी मनमथ जू की,
तामें अचरज एक बड़ौ इहि बात तै।
जो न गरै परै तौ तौ प्राननि कौ हरै अरु,
गरै जब परै तब राखै प्रान जात तैं॥
- पुस्तक : सूरति मिश्र का अज्ञात काव्य (पृष्ठ 100)
- संपादक : रामगोपाल शर्मा दिनेश
- रचनाकार : सूरति मिश्र
- प्रकाशन : रौशनलाल जैन एंड संस
- संस्करण : 1973
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