सोई सोभा गगन अवनि पुनि सोई सोभा
soi sobha gagan awni puni soi sobha
सोई सोभा गगन अवनि पुनि सोई सोभा,
तैसिये पताल सोभा एक उनहारि है।
पुहुकर कहै कछू बरनी न जाति मो पै,
मेरे मन आई सोई कही मैं विचारि है॥
मान सर तीर तरु फूले हैं अनेक फूल,
ताकौं प्रतिबिंब रहौ भुजा सी पसारि है।
नागलोक माझ अध ऊरध अमर लोक,
तीनों लोक मानौ तीनि नैन त्रिपुरारि है॥
- पुस्तक : रसरतन (पृष्ठ 109)
- संपादक : शिवप्रसाद सिंह
- रचनाकार : पुहकर
- प्रकाशन : नागरीप्रचारिणी सभा, काशी
- संस्करण : 1963
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