फूल उठे कमल से अमल हितू के नैन
phool uthe kamal se amal hitu ke nain
रघुनाथ बंदीजन
Raghunath Bandijan
फूल उठे कमल से अमल हितू के नैन
phool uthe kamal se amal hitu ke nain
Raghunath Bandijan
रघुनाथ बंदीजन
और अधिकरघुनाथ बंदीजन
फूल उठे कमल से अमल हितू के नैन,
कहै रघुनाथ भरे चैनरस सियरे।
दौरि आए भौंर से करत गुनी गुनगान,
सिद्ध से सुजान सुखसागर सों नियरे॥
सुरभी सी खुलन सुकवि की सुमति लागी,
चिरिया सो जागी चिंता जनक के जीयरे।
धनुष लै ठाढ़े राम रवि से लसत आजु,
मीर कैसे नखत नरिंद भए पियरे॥
- पुस्तक : हिंदी काव्य गंगा (पृष्ठ 269)
- संपादक : सुधाकर पांडेय
- रचनाकार : रघुनाथ
- प्रकाशन : नागरीप्रचारिणी सभा
- संस्करण : 1990
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