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चमक चमक चारु चपला सी चमकत

chamak chamak charu chapla si chamkat

रसलीन

रसलीन

चमक चमक चारु चपला सी चमकत

रसलीन

और अधिकरसलीन

    चमक चमक चारु चपला सी चमकत,

    लपक लपक जात चाल पहिचानी है।

    आँखन कटोरे प्यारी धरत दँबाला नारी,

    नथुनी की सोभा नैनन समानी है।

    लाल हीरा मूठ में बिराजे सुभ रूप जात,

    भुजनि की भाई छबि चित्त ठहरानी है।

    देस देस जानी रघुनाथ हाथ की बिकानी,

    सिद्ध की कृपानी कीधौं मेरी सीता रानी है॥

    स्रोत :
    • पुस्तक : हिंदी काव्य गंगा, प्रथम भाग (पृष्ठ 266)
    • संपादक : सुधाकर पांडेय
    • रचनाकार : रसलीन
    • प्रकाशन : नागरीप्रचारिणी सभा, वाराणसी

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