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सीखे असलोक गीता, सीखे कबीत छंद

siikhe aslok giita, siikhe kabiit chha.nd

निपट निरंजन

निपट निरंजन

सीखे असलोक गीता, सीखे कबीत छंद

निपट निरंजन

और अधिकनिपट निरंजन

    सीखे असलोक गीता, सीखे कबीत छंद,

    ज्योतीष को सिखे जो मन रहे गरूरी में।

    सीखे सब जन्त्र मन्त्र मन्त्रन को सिख लेत,

    पिंगल पुराण सिखे भये बड़े रारी में॥

    सिखी सब सौदागिरी बज्जाजी सराफी सिखी,

    लाखन को हेर फेर करत अमीरी में।

    कै ‘निपट निरंजन', आपको जाना शठ,

    राम नाम नहीं पाठ सारी सीख गई धूरी में॥

    स्रोत :
    • पुस्तक : निपट निरंजन की बानी (पृष्ठ 123)
    • संपादक : राजमल बोरा
    • रचनाकार : निपट निरंजन
    • प्रकाशन : वाणी प्रकाशन
    • संस्करण : 1992

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