शोभा सुखसदन को बातायन ‘बलभद्र’ मानो
shobha sukhasdan ko batayan ‘balbhadr’ mano
बलभद्र मिश्र
Balbhadr Mishra
शोभा सुखसदन को बातायन ‘बलभद्र’ मानो
shobha sukhasdan ko batayan ‘balbhadr’ mano
Balbhadr Mishra
बलभद्र मिश्र
और अधिकबलभद्र मिश्र
शोभा सुखसदनको बातायन ‘बलभद्र’ मानो,
महामोहिनी पिपीलिका को गेह है।
मैन पंचबान को छबीलो छिद्र छाजत है,
देखिबे को देह में अदेहजू को देह है॥
पिय मन रोकिबे को निडर किलो को रंध्र,
सुखमा मधुरको रुचिर जासों नेह है।
मन के मवास में धनुर्धर की मोरचां है,
कैधों बाम नासिका में बेसर को बेह है॥
- पुस्तक : हिंदी काव्य गंगा, प्रथम भाग (पृष्ठ 190)
- संपादक : सुधाकर पांडेय
- रचनाकार : बलभद्र मिश्र
- प्रकाशन : नागरीप्रचारिणी सभा, वाराणसी
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