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ठौर-ठौर सरसी में, सरोज प्रगट भए

thaur thaur sarsi mein, saroj pragat bhae

गिरिधर पुरोहित

गिरिधर पुरोहित

ठौर-ठौर सरसी में, सरोज प्रगट भए

गिरिधर पुरोहित

और अधिकगिरिधर पुरोहित

    ठौर-ठौर सरसी में, सरोज प्रगट भए,

    दसौं दिसि छाड़ै मल, निर्मलता लाई है।

    फूली फुलवारी जेती, गिरिधारी हुँती सब,

    मन की मलीनता कूँ, धरा छाड़ि आई है।

    पहिलै हो आए तैसे, करि कहों फिरितो,

    ब्रज ब्रजराज बिनु कहौ कौन भाई है।

    सरदौंनि रानी आई, बादर गए बिलाइ,

    दई-दई-दई करै, बरखा बिलाई है॥

    स्रोत :
    • पुस्तक : शृंगारमंजरी (पृष्ठ 99)
    • रचनाकार : गिरिधर पुरोहित
    • प्रकाशन : लोकभारती प्रकाशन
    • संस्करण : 1982

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