सज्जन सुजान जान्यौ सुजन समान जाहि
sajjan sujan janyau sujan saman jahi
अर्जुनदास केडिया
Arjundas Kediya
सज्जन सुजान जान्यौ सुजन समान जाहि
sajjan sujan janyau sujan saman jahi
Arjundas Kediya
अर्जुनदास केडिया
और अधिकअर्जुनदास केडिया
सज्जन सुजान जान्यौ सुजन समान जाहि,
जान्यौ जसवंत जस-जोधा जग-जाने को।
नृपन वजीर जान्यौ बीरबर हू तें बर,
बीररस बीरन कों बीरता बताने को॥
मम्मट औ केसौदास काव्य-अनुरागिन को,
रागिन को तूंबुरू गुरु है गूढ़ गाने को।
और सब शिष्य जानैं गुरु है गनेसपुरी,
मेरे काम-तरु हैं असेस मन-माने को॥
- पुस्तक : साहित्य प्रभाकर (पृष्ठ 471)
- संपादक : महालचंद बयेद
- रचनाकार : अर्जुनदास केडिया
- प्रकाशन : ओसवाल प्रेस कलकत्ता
- संस्करण : 1937
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