घुघरारी अलक सवारी अनियारी भौं हैं
ghughraarii alak savaarii aniyaarii bhau.n hai.n
रसिक गोविंद
Rasik Govind
घुघरारी अलक सवारी अनियारी भौं हैं
ghughraarii alak savaarii aniyaarii bhau.n hai.n
Rasik Govind
रसिक गोविंद
और अधिकरसिक गोविंद
घुघरारी अलक सवारी अनियारी भौं हैं,
कजरारी आँखें कजरारी मतवारी मै।
भारी सारी जरतारी सरस किनारी बारी,
मालती गुही है बैनी कारी संटकारी मै।
बारी बैस रूप उजियारी श्री गुबिंद कहैं,
बारी सुरनारी नरनारी नागनारी मै।
मिलन बिहारी सौ दुलारी सुकुमारी प्यारी,
बैठ चित्रकारी की अटारी सुखकारी मै॥
- पुस्तक : गोविंददास कृत दूषणोल्लास (पृष्ठ 86)
- संपादक : बनीबहादुर सिंह
- रचनाकार : रसिक गोविंद
- प्रकाशन : हिंदी साहित्य सम्मेलन, प्रयाग
- संस्करण : 1965
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