राम मेरे पंडित अखंडित सुदिन सोधैं
ram mere panDit akhanDit sudin sodhain
ठाकुर बुंदेलखंडी
Thakur Bundelkhandi
राम मेरे पंडित अखंडित सुदिन सोधैं
ram mere panDit akhanDit sudin sodhain
Thakur Bundelkhandi
ठाकुर बुंदेलखंडी
और अधिकठाकुर बुंदेलखंडी
राम मेरे पंडित अखंडित सुदिन सोधैं,
राम मेरे गुरु जप मेरे राम नाम हैं।
रामनाम गावतहिं राम नाम ध्यावतहिं,
राम राम सोचत कटत आठो जाम हैं।
‘ठाकुर' कहत साँची आस मोहिं राम ही की—
राम ही सों काम धन धाम मेरे राम हैं।
राम मेरे बैद बिसराम मेरे राम साँचे—
राम मेरी औखद जतन मेरे राम हैं॥
- पुस्तक : रीतिमुक्त कवि : नया परिदृश्य (पृष्ठ 145)
- संपादक : रामफेर त्रिपाठी
- रचनाकार : ठाकुर बुंदेलखंडी
- प्रकाशन : मधु प्रकाशन, इलाहाबाद
- संस्करण : 1982
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