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सजल सरूप परमारथ सनेही बार

sajal sarup parmarath sanehi bar

बोधा

बोधा

सजल सरूप परमारथ सनेही बार

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और अधिकबोधा

    सजल सरूप परमारथ सनेही बार,

    बेगि बलवान आयो गैन चढ़ि धाय है।

    हौं तो परपीरक बिसेष तोहिं जान्यौ करि,

    बृष्टि कै कै छाया म्हारी तपन बुझाय है।

    उत्तर सुनाऊँ आयो उत्तर दिसा ते जो पै,

    कौन देस कौन गाँव बसती बताय है।

    मौन मत होय एरे मेघा हे हमारे बीर,

    साँची कहु बालम बिदेसी कब आय है॥

    स्रोत :
    • पुस्तक : रीतिमुक्त कवि : नया परिदृश्य
    • संपादक : रामफेर त्रिपाठी
    • रचनाकार : बोधा
    • प्रकाशन : मधु प्रकाशन, इलाहाबाद
    • संस्करण : 1982
    हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

    हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

    ‘हिन्दवी डिक्शनरी’ हिंदी और हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों के शब्दों का व्यापक संग्रह है। इसमें अंगिका, अवधी, कन्नौजी, कुमाउँनी, गढ़वाली, बघेली, बज्जिका, बुंदेली, ब्रज, भोजपुरी, मगही, मैथिली और मालवी शामिल हैं। इस शब्दकोश में शब्दों के विस्तृत अर्थ, पर्यायवाची, विलोम, कहावतें और मुहावरे उपलब्ध हैं।

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