प्रथम मिलाप कुंज-गेह में बिसाषा कियो
pratham milap kunj geh mein bisasha kiyo
गिरिधर पुरोहित
Giridhar Purohit
प्रथम मिलाप कुंज-गेह में बिसाषा कियो
pratham milap kunj geh mein bisasha kiyo
Giridhar Purohit
गिरिधर पुरोहित
और अधिकगिरिधर पुरोहित
प्रथम मिलाप कुंज-गेह में बिसाषा कियो,
कान्ह प्यारे हुते तहाँ, प्रान-प्यारी पठई।
ज्योबन नवेले आयें, प्रीति की न जाने रीति,
कुंज-द्वार ठाढ़ी, जानुं चित्र पूतरी ठई।
स्याम पटु गह्यो तब लपटि लता सौं लागी,
बांहनि कै गहै सुधि-बुधि सबहूँ गई।
कंठ सौं लगाइ प्राननाथ लै तलपु आए,
मानौ मेघ बीचु बीजुरी छंन-सी भई॥
- पुस्तक : शृंगारमंजरी (पृष्ठ 66)
- रचनाकार : गिरिधर पुरोहित
- प्रकाशन : लोकभारती प्रकाशन
- संस्करण : 1982
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