फूले मधु माधवी के पुहुप परन बिन
phule madhu madhawi ke puhup paran bin
फूले मधु माधवी के पुहुप परन बिन,
मानों ‘बलभद्र’ पंचशाखा देवतरुकी।
केसरकली सी कलधौत की फली सी किधौं,
फली भली भाँति कुंजलता कामसरकी॥
कोमल कमल अग्र दस चक्रचिन्ह राजें,
दसहू दिसा की जौति शोभा सुर नर की।
तेरे कर बसत तनक तनधर तंत्र,
कैधों करपल्लव किशोरी तेरे करकी॥
- पुस्तक : हिंदी काव्य गंगा, प्रथम भाग (पृष्ठ 190)
- संपादक : सुधाकर पांडेय
- रचनाकार : बलभद्र मिश्र
- प्रकाशन : नागरीप्रचारिणी सभा, वाराणसी
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