पाय प्रभुताई कछु कीजिये भलाई इहाँ
pay prabhutai kachhu kijiye bhalai ihan
बेनी बेंतीवाले
Beni Bentivale
पाय प्रभुताई कछु कीजिये भलाई इहाँ
pay prabhutai kachhu kijiye bhalai ihan
Beni Bentivale
बेनी बेंतीवाले
और अधिकबेनी बेंतीवाले
पाय प्रभुताई कछु कीजिये भलाई इहाँ,
नाहीं थिरताई बैन मानिये कविन के।
जस-अपजस रहि जात पुहुमी के बीच,
मुलुक खजाना बेनी साथ गये किन के॥
और महिपालन की गनती मनावै कौन,
रावन से ह्वै गये त्रिलोक बस जिनके।
चोपदार चाकर चमूपति चँवरपति,
मंदिर मतंग ये तमासे चार दिन के॥
- पुस्तक : साहित्य प्रभाकर (पृष्ठ 358)
- संपादक : महालचंद बयेद
- रचनाकार : वेनी बेंतीवाल
- प्रकाशन : ओसवाल प्रेस कलकत्ता
- संस्करण : 1937
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