पानी तैं कमल भयौ, तातैं कमलासनु है
pani tain kamal bhayau, tatain kamlasanu hai
पानी तैं कमल भयौ, तातैं कमलासनु है
कमलासनु तैं जग देतु है दिखाई कूँ।
तीन लोक लोकनाथ विश्व ब्रह्मंड बीच
ताकौ मूल पानी जीव जात के सहाई कूँ।
तो सौं बड़ो हवै के कोऊ ऐसौ काम करै ऐसी
काह उपमारे लहि पीर न पराई कूँ।
जाल मैं बँधाइ सरनागतनि जातु, भयौ
धिक् तोय तोकूँ तेरी इतनी बड़ाई कूँ॥
- पुस्तक : राजनीति के कवित्त (पृष्ठ 91)
- संपादक : महेंद्रनाथ दुबे
- रचनाकार : देवीदास
- प्रकाशन : वाणी प्रकाशन
- संस्करण : 1999
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