मजा में मुसाहिबी रठौरन की ठौर-ठौर
maja mein musahibi rathauran ki thaur thaur
शिवकुमार केडिया 'कुमार'
Shivkumar Kediya
मजा में मुसाहिबी रठौरन की ठौर-ठौर
maja mein musahibi rathauran ki thaur thaur
Shivkumar Kediya
शिवकुमार केडिया 'कुमार'
और अधिकशिवकुमार केडिया 'कुमार'
मजा में मुसाहिबी रठौरन की ठौर-ठौर,
माँस में मराठन के ठाठ बिलसतु हैं।
रक्त में भराने राने, चाम में चुहान-चमू,
हाडन में हाडन के झुंड हरसतु हैं॥
कहत 'कुमार' ताके तीछन कटाछन में,
लाखन लड़ाके कटि-तट को कसतु हैं।
बीरबर केते बात-बात में विराजि रहे,
बादसाह केते बार-बार में बसतु हैं॥
- पुस्तक : साहित्य प्रभाकर (पृष्ठ 583)
- संपादक : महालचंद बयेद
- रचनाकार : शिवकुमार केडिया
- प्रकाशन : ओसवाल प्रेस कलकत्ता
- संस्करण : 1937
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