लाजनि गड़ी मैं जाति कैसी करौं मेरी बीर
lajani gaDi main jati kaisi karaun meri beer
ललिताप्रसाद त्रिवेदी
Lalitaprasad Trivedii
लाजनि गड़ी मैं जाति कैसी करौं मेरी बीर
lajani gaDi main jati kaisi karaun meri beer
Lalitaprasad Trivedii
ललिताप्रसाद त्रिवेदी
और अधिकललिताप्रसाद त्रिवेदी
लाजनि गड़ी मैं जाति कैसी करौं मेरी बीर,
हँसत अहीर ब्रज संक ना धरो करै।
आप केस छोरै आपै बोरै लै फुलेल आछै,
गूंधत ललित बेनी आनंद भरो करै॥
भूषन सुधारै मग पामड़े पसारे मुख,
ओर ही निहारै गुन मेरोई रटो करै।
सेज को सँभारै गुहि माल गरे डारै कान्ह,
सहल सुभाव मेरी टहल करो करै॥
- पुस्तक : साहित्य प्रभाकर (पृष्ठ 439)
- संपादक : महालचंद बयेद
- रचनाकार : ललिताप्रसाद त्रिवेदी
- प्रकाशन : ओसवाल प्रेस कलकत्ता
- संस्करण : 1937
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