क्षेत्र-गोत्र पुत्र पौत्र माता है न पिता कोई
kshaetr gotr putr pautr mata hai na pita koi
निपट निरंजन
Nipat Niranjan
क्षेत्र-गोत्र पुत्र पौत्र माता है न पिता कोई
kshaetr gotr putr pautr mata hai na pita koi
Nipat Niranjan
निपट निरंजन
और अधिकनिपट निरंजन
क्षेत्र-गोत्र पुत्र पौत्र माता है न पिता कोई,
अहं खावे भक्ति पीवे न कोइ वाको घर है।
अनंग है असंग है, अभंग है अरंग है।
सब घटव्यापक एक परात्पर है॥
न काया है न माया है छाया है न आया गया,
नेती नेती वेद कहे वो तो तिर्थ ये रहै।
न पास है न दूर ‘निपट' हाजीर हजूर।
असंग है अनंग है अभंग भरपूर है॥
- पुस्तक : Nipat Niranjan ke Bani (पृष्ठ 111)
- संपादक : Rajmal Bora
- रचनाकार : Nipat Niranjan
- प्रकाशन : Vani Publication
- संस्करण : 1992
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