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खौयो मन उनको मिल्यो सो तुमरे ई हिये

khauyo man unko milyo so tumre i hiye

पंडित युगलकिशोर मिश्र

पंडित युगलकिशोर मिश्र

खौयो मन उनको मिल्यो सो तुमरे ई हिये

पंडित युगलकिशोर मिश्र

और अधिकपंडित युगलकिशोर मिश्र

    खौयो मन उनको मिल्यो सो तुमरे हिये,

    जब अपनायो तब उनको सिरानी गात।

    फेरि मन तुमहूँ गँवायो सोऽब पायो हम,

    जानी कहूँ होत है अपनो विरानो तात॥

    भाल लाल जावक लै तुम ब्रजराज आये,

    रजनी बिताय जब जान्यो कै निरानो प्रात।

    रूप अनुरूप मुख रावरो विलोकि अजू,

    हेरत ही हेरत सो मो मन हिरानो जात॥

    स्रोत :
    • पुस्तक : साहित्य प्रभाकर (पृष्ठ 490)
    • संपादक : महालचंद बयेद
    • रचनाकार : पंडित युगलकिशोर मिश्र
    • प्रकाशन : ओसवाल प्रेस कलकत्ता
    • संस्करण : 1937
    हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

    हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

    ‘हिन्दवी डिक्शनरी’ हिंदी और हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों के शब्दों का व्यापक संग्रह है। इसमें अंगिका, अवधी, कन्नौजी, कुमाउँनी, गढ़वाली, बघेली, बज्जिका, बुंदेली, ब्रज, भोजपुरी, मगही, मैथिली और मालवी शामिल हैं। इस शब्दकोश में शब्दों के विस्तृत अर्थ, पर्यायवाची, विलोम, कहावतें और मुहावरे उपलब्ध हैं।

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