केसौदास बाल बैस दीपति तरुन तेरी
kesaudas baal bais dipati tarun teri
केसौदास बाल बैल दीपति तरुन तेरी,
बानि लघु बरनत बुधि परमान तेरी।
कोमल अमल उर उरज कठोर, जाति,
अबला पै बलबीर-बंधन-बिधान की॥
चंचल चितौनि, चित्त अचल, सुभाव साधु,
सकल असाधु भाव काम की कथान की।
बेचति फिरति दधि, लेत, तिन्हैं मोल लेति,
अदभुतरस-भरी बेटी बृषभान की॥
- पुस्तक : रसिकप्रिया (पृष्ठ 267)
- संपादक : प्रियाप्रसाद तिलक
- रचनाकार : केशवदास
- प्रकाशन : कल्याणदास एंड ब्रदर्स ज्ञानवापी, वाराणसी
- संस्करण : 1967
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