कंचन लता सी थहरात अंग-अंग मिलि
kanchan lata si thahrat ang ang mili
कंचन लता सी थहरात अंग-अंग मिलि,
सीकर समूह अंग अंगनि मैं दरसै।
चुंबन कपोल नैन खंडन अधर नख,
गहत पयोधर प्रचंड पानि परसै॥
आनँद उमंगन में मुसकात बाल तुत-
रात बतरात सतरात रस बरसै।
लपटनि झपटनि मसकनि अनेक अंग,
रति रंग जंग तैं अनंग रंग सरसै॥
- पुस्तक : हम्मीररासो (पृष्ठ 42)
- संपादक : श्याामसुंदर दास
- रचनाकार : जोधराज
- प्रकाशन : नागरीप्रचारिणी सभा, काशी
- संस्करण : 1948
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