चपला के ऐसे चारु चमके हैं छबि पुंज
chapla ke aise chaaru chamke hai.n chhabi pu.nj
कालिदास त्रिवेदी
Kalidas Trivedi
चपला के ऐसे चारु चमके हैं छबि पुंज
chapla ke aise chaaru chamke hai.n chhabi pu.nj
Kalidas Trivedi
कालिदास त्रिवेदी
और अधिककालिदास त्रिवेदी
चपला के ऐसे चारु चमके हैं छबि पुंज,
छेदि निसरत झीने घूँघट निचोल हैं।
कालिदास आसपास तरल तरौनन की,
जोति किरनावली ललित अति लोल हैं॥
कान्ह अवलोकत वदन प्रतिबिंब निज,
कनक सरूप मानो मुकुर अमोर हैं।
लेत मन मोल कहै दृगन कौ तौल ऐसे,
गोरे-गोरे गोल बने प्यारी के कपोल हैं॥
- पुस्तक : हिंदी काव्य गंगा (प्रथम भाग) (पृष्ठ 234)
- संपादक : सुधाकर पांडेय
- रचनाकार : कालिदास त्रिवेदी
- प्रकाशन : नागरीप्रचारिणी सभा, वाराणसी
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