कैधों शिशुताइ के पयाने शामियाने ताने
kaidhon shishutai ke payane shamiyane tane
बलभद्र मिश्र
Balbhadr Mishra
कैधों शिशुताइ के पयाने शामियाने ताने
kaidhon shishutai ke payane shamiyane tane
Balbhadr Mishra
बलभद्र मिश्र
और अधिकबलभद्र मिश्र
कैधों शिशुताइके पयाने शामियाने ताने,
सुंदर सुधा पटकुटिका है लाज की।
कोकसाला रूपकी कि कामही की सुखसाला,
‘बलभद्र’ कोमल कुलह कामबाजकी॥
मोहनी की जाल की उछल अभी कुंभ नोको,
डारी है अंध्यारी किधौं मदगजराजकी।
गोरे गोरे गोल कुच तेरे नील कंचुकी में,
पहिरे सिलह रतिरन के समाज की॥
- पुस्तक : हिंदी काव्य गंगा, प्रथम भाग (पृष्ठ 190)
- संपादक : सुधाकर पांडेय
- रचनाकार : बलभद्र मिश्र
- प्रकाशन : नागरीप्रचारिणी सभा, वाराणसी
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