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कैधों शिशुताइ के पयाने शामियाने ताने

kaidhon shishutai ke payane shamiyane tane

बलभद्र मिश्र

बलभद्र मिश्र

कैधों शिशुताइ के पयाने शामियाने ताने

बलभद्र मिश्र

और अधिकबलभद्र मिश्र

    कैधों शिशुताइके पयाने शामियाने ताने,

    सुंदर सुधा पटकुटिका है लाज की।

    कोकसाला रूपकी कि कामही की सुखसाला,

    ‘बलभद्र’ कोमल कुलह कामबाजकी॥

    मोहनी की जाल की उछल अभी कुंभ नोको,

    डारी है अंध्यारी किधौं मदगजराजकी।

    गोरे गोरे गोल कुच तेरे नील कंचुकी में,

    पहिरे सिलह रतिरन के समाज की॥

    स्रोत :
    • पुस्तक : हिंदी काव्य गंगा, प्रथम भाग (पृष्ठ 190)
    • संपादक : सुधाकर पांडेय
    • रचनाकार : बलभद्र मिश्र
    • प्रकाशन : नागरीप्रचारिणी सभा, वाराणसी
    हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

    हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

    ‘हिन्दवी डिक्शनरी’ हिंदी और हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों के शब्दों का व्यापक संग्रह है। इसमें अंगिका, अवधी, कन्नौजी, कुमाउँनी, गढ़वाली, बघेली, बज्जिका, बुंदेली, ब्रज, भोजपुरी, मगही, मैथिली और मालवी शामिल हैं। इस शब्दकोश में शब्दों के विस्तृत अर्थ, पर्यायवाची, विलोम, कहावतें और मुहावरे उपलब्ध हैं।

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