जाही आगि जारे हेम मंदिर अपार पुनि
jahi aagi jare hem mandir apar puni
रामगुलाम द्विवेदी
Ramgulam Dwivedi
जाही आगि जारे हेम मंदिर अपार पुनि
jahi aagi jare hem mandir apar puni
Ramgulam Dwivedi
रामगुलाम द्विवेदी
और अधिकरामगुलाम द्विवेदी
जाही आगि जारे हेम मंदिर अपार पुनि,
जाही आगि मध्य जातुधान धारि दली है।
जाही आगि जारे गजराज वाजिराज रथ्थ,
जाही आगि जारे मनि मानिक की मही है॥
जाही आगि जारे अस्त्र-शस्त्र भाँति भाँति भूति,
देखत दसानन महान त्रास लही है।
वदत 'गुलामराम' राम को प्रताप पुंज,
सोई आगि हनूमान को श्रीखंड सही है॥
- पुस्तक : कवित्त-रामायण (पृष्ठ 32)
- संपादक : महावीरप्रसाद मालवीय वैद्य
- रचनाकार : रामगुलाम द्विवेदी
- प्रकाशन : बेलविडियर प्रेस, प्रयाग
- संस्करण : 1924
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