जबहीं ते देखै लाल तब तें बिहाल बाल
jabhin te dekhai lal tab ten bihal baal
जबहीं ते देखै लाल तब तें बिहाल बाल,
न सुहाति माल तन ज्वाल ज्यों जरतु है।
अनल है खायो किधों अनलही खाई आली,
काल ते करे जो बातें काल सों करतु है॥
चित्र मैं चितेरी है कि सुंदर उकेरी है कि,
जंजिरनि जेरी है ज्यौं घरी लौं भरतु है।
मोहन तिहारी नाउ नेक चौंकि परति है,
याही तें भरोसी मोहि जीबे को परतु है॥
- पुस्तक : सुंदर शृंगार (पृष्ठ 97)
- प्रकाशन : रामकृष्ण वर्म्मा
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