Font by Mehr Nastaliq Web

जाही जोई जाने है सो दरस सदा ही चाहै

jaahii jo.ii jaane hai so daras sada hii

रसलीन

रसलीन

जाही जोई जाने है सो दरस सदा ही चाहै

रसलीन

और अधिकरसलीन

    जाही जोई जाने है सो दरस सदा ही चाहै,

    रूप मंजरी के सर केतल निकाई है।

    सौहे कुच गेंद पै सिंगार हार मालती के,

    मोतिया से दंत कुंद केतक लजाई है।

    सेवत हजार मखमल में कमल पद,

    रसलीन पछतानी दाऊदी सुहाई है।

    चाँदनी सी सेत सारो चंपक बरन प्यारो,

    बनवारी पास फुलवारी बनि आई है॥

    स्रोत :
    • पुस्तक : हिंदी काव्य गंगा, प्रथम भाग (पृष्ठ 267)
    • संपादक : सुधाकर पांडेय
    • रचनाकार : रसलीन
    • प्रकाशन : नागरीप्रचारिणी सभा, वाराणसी

    संबंधित विषय

    हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

    हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

    ‘हिन्दवी डिक्शनरी’ हिंदी और हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों के शब्दों का व्यापक संग्रह है। इसमें अंगिका, अवधी, कन्नौजी, कुमाउँनी, गढ़वाली, बघेली, बज्जिका, बुंदेली, ब्रज, भोजपुरी, मगही, मैथिली और मालवी शामिल हैं। इस शब्दकोश में शब्दों के विस्तृत अर्थ, पर्यायवाची, विलोम, कहावतें और मुहावरे उपलब्ध हैं।

    Additional information available

    Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.

    OKAY

    About this sher

    Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit. Morbi volutpat porttitor tortor, varius dignissim.

    Close

    rare Unpublished content

    This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.

    OKAY

    जश्न-ए-रेख़्ता | 13-14-15 दिसम्बर 2024 - जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम, गेट नंबर 1, नई दिल्ली

    टिकट ख़रीदिए