आई वे अचानक सौं, बेटी वृषभान ज्यू की
i we achanak saun, beti wrishbhan jyu ki
गिरिधर पुरोहित
Giridhar Purohit
आई वे अचानक सौं, बेटी वृषभान ज्यू की
i we achanak saun, beti wrishbhan jyu ki
Giridhar Purohit
गिरिधर पुरोहित
और अधिकगिरिधर पुरोहित
आई वे अचानक सौं, बेटी वृषभान ज्यू की,
जोइ प्रान प्यारे जू के, जिव में बसति है।
देखैं मुख चंद भयो, पियरो मुखारविंद,
नैननि की पलक हू, नाहि परसति है।
देखि सखि-मंडली सलौनों, मुख मोहन को,
गिरिधारी सबहू के, हिए हुलसति है।
चंचल चलाइ नैन, सैन सौं बतावति है,
अंचर सौ मुख ढापि ढांपि के हंसति है॥
- पुस्तक : शृंगारमंजरी (पृष्ठ 91)
- रचनाकार : गिरिधर पुरोहित
- प्रकाशन : लोकभारती प्रकाशन
- संस्करण : 1982
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