खेलिबेको फाग देवदारासी उतर आई
khelibeko phag dewdarasi utar i
खेलिबेको फाग देवदारासी उतर आई,
दीरघ दृगन देखि लगत न पलकैं।
उड़त दुकूल दरसत भुजमूल पर,
उन्नत उरोज हार हीरनके झलकै॥
‘बेनी’ कवि भूपर धरत मंद मंद पाँव,
आननके ऊपर अनूप छबि छलकैं।
लाल लाल रंग भरि मदन तरंग भरि,
बाल भरी आनंद गुलाल भरी अलकैं॥
- पुस्तक : हिंदी काव्य गंगा (प्रथम भाग) (पृष्ठ 275)
- संपादक : सुधाकर पांडेय
- रचनाकार : बेनी बंदीजन
- प्रकाशन : नागरीप्रचारिणी सभा, वाराणसी
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