वाकी नस-नस में सनेह की नदी के दौर
waki nas nas mein saneh ki nadi ke daur
शिवकुमार केडिया 'कुमार'
Shivkumar Kediya
वाकी नस-नस में सनेह की नदी के दौर
waki nas nas mein saneh ki nadi ke daur
Shivkumar Kediya
शिवकुमार केडिया 'कुमार'
और अधिकशिवकुमार केडिया 'कुमार'
वाकी नस-नस में सनेह की नदी के दौर,
दिल में दया के दरियाव लहराने हैं।
लाखों परी खोपरी में झोंपरी गरीबन की,
मन की दरी में दुरी हीरन की खाने हैं॥
कहत 'कुमार' त्यौं कपार पै पहार भारी,
भारत के भार के उठाए जग जाने हैं।
बंधुता की बाटिका बिराजै बोटी-बोटी-बीच,
छोटी सी लँगोटी बीच खादी के खजाने हैं॥
- पुस्तक : साहित्य प्रभाकर (पृष्ठ 584)
- संपादक : महालचंद बयेद
- रचनाकार : शिवकुमार केडिया
- प्रकाशन : ओसवाल प्रेस कलकत्ता
- संस्करण : 1937
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