गगन में कूप नील पदवी अनूप तहाँ
gagan mein koop neel padwi anup tahan
गगन में कूप नील पदवी अनूप तहाँ,
कंचन सिठीन की निकाई मन भाई है।
सुकृति सुगम शैल उन्नत अधिक फेरि,
जहाँ सुरसरि को धवल धार धाई है॥
कंबु पै कलानिधि कलानिधि पै खंजरीट,
खंजरीट ऊपर अरुन अरुनाई है।
भानु के समीप ही छपा की छवि छाई तहाँ,
बेनी कवि तापर बिमल दुति पाई है॥
- पुस्तक : साहित्य प्रभाकर (पृष्ठ 359)
- संपादक : महालचंद बयेद
- रचनाकार : वेनी बेंतीवाल
- प्रकाशन : ओसवाल प्रेस कलकत्ता
- संस्करण : 1937
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