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एड़ी वर्णन (नखशिख)

eDi warnan (nakhshikh)

अब्दुर्रहमान 'प्रेमी'

अब्दुर्रहमान 'प्रेमी'

एड़ी वर्णन (नखशिख)

अब्दुर्रहमान 'प्रेमी'

और अधिकअब्दुर्रहमान 'प्रेमी'

    नाइन छू पा इनको चित्त भंग रंग लीए,

    सहज ललाई जोत चौधत चबन को।

    रहमान प्रेमी मानों मंगल छै रूप ठन,

    पग लाग रहै सान छाड उडगन को।

    माखन को लोदा किधों वौर है महावर मैं,

    दरस परस सुध रहत तन को।

    प्यारी तेरे पाइ चित्त करत वेपार देख,

    कुछ वसाइ एडी गोरी देत मन को॥

    स्रोत :
    • पुस्तक : नख-शिख (पृष्ठ 73)
    • संपादक : इक़बाल अहमद
    • रचनाकार : अब्दुर्रहमान 'प्रेमी'
    • प्रकाशन : महात्मा गांधी मेमोरियल पब्लिकेशन, हिंदुस्तानी प्रचार सभा, मुंबई-2
    • संस्करण : 1972

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