धूर कर दूर पूर पंक तल भूर घूर
dhoor kar door poor pank tal bhoor ghoor
धूर कर दूर पूर पंक तल भूर घूर,
मूर झूर चूर तूर तरुन उखारो है।
बुदबुद कंज भंज गुंजरत भौंर पुंज,
दान प्रिय लुंज सो न होत नेक न्यारो है॥
पौन गौन गौन रौन सुर कहि सकै कौन,
मौन भली जौन तैं सरूप सेत धारो है।
लेखराज पाप सांकरन को मरोर तोर,
गंगजल गज सुरगज मतवारो है॥
- पुस्तक : गंगाभरण (पृष्ठ 10)
- रचनाकार : लेखराज मिश्र
- प्रकाशन : कृष्णविहारी मिश्र
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