देव-पति-रानी, देव-रानी, नग-नाग-रानी
dew pati rani, dew rani, nag nag rani
देव-पति-रानी, देव-रानी, नाग-नाग-रानी,
दिन-मनि-रानी, चंद्र-रानी झलाझल की।
कहै छत्रसाल यच्छ-रानी अरु पच्छि-रानी,
गावे अप्सरानी जासु कीरति अमल की॥
बानी महरानी, रुद-रानी कर जोरि-जोरि,
चाहैं कृपा-कोर चारु लोचन-कमल की।
ह्वैकैं परिचारिका ए परतीं परानि आय,
करतीं टहल नित्य राधिका-महल की॥
- पुस्तक : छत्रसाल-ग्रंथावली (पृष्ठ 2)
- संपादक : वियोगी हरि
- रचनाकार : छत्रसाल
- प्रकाशन : श्रीछत्रसाल-स्मारक-समिति, पन्ना, मध्य प्रदेश
- संस्करण : 1926
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