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आज नंदनंद जू अनंद भरे खेलैं फाग

aaj na.ndna.nd juu ana.nd bhare khelai.n phaag

दीनदयाल गिरि

दीनदयाल गिरि

आज नंदनंद जू अनंद भरे खेलैं फाग

दीनदयाल गिरि

और अधिकदीनदयाल गिरि

    आज नंदनंद जू अनंद भरे खेलैं फाग,

    कोटि चंद ते दुचंद भाल दुति लाल की।

    आभरन हीरन पैं मानिक ललाई आई,

    तैसी छवि छाई है बिसाल बनमाल की॥

    अबीर उड़ावै मूठि-मूठि सी चलावै माई,

    देखिए लुनाई नट सागर गुपाल की।

    सजै पीत पट पर मुरली लकुट,

    मोर के मुकुट पर गरद गुलाल की॥

    स्रोत :
    • पुस्तक : दीनदयालगिरि-ग्रंथावली (पृष्ठ 22)
    • संपादक : श्यामसुंदरदास
    • रचनाकार : दीनदयाल गिरि
    • प्रकाशन : नागरीप्रचारिणी सभा
    • संस्करण : 1976

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